विकास प्रबंधन संस्थान (डी.एम.आई.) के चेयरमैन- श्री अनुप मुखर्जी महोदय, विशिष्ट अतिथि- डा. माधव चव्हाण, शासक मंडल एवं डी.एम.आई. सोसाईटी के सदस्यगण, ग्रामीण विकास सचिव, श्री अरविन्द कुमार चैधरी जी, विकास प्रबंधन संस्थान के निदेशक-डा. हेमनाथ राव हनुमान्कर जी, संस्थान के डीन- प्रो. जी. कृष्णमूर्ति जी, संकाय सदस्यगण, कर्मचारीवृन्द, आज के प्रतिभागी छात्रों के अभिभावकगण, प्रेस और मीडिया के प्रतिनिधिगण, सभागार में बैठे विशिष्ट देवियों एवं सज्जनों तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण आज उपाधि पाने वाले हमारे सफल युवा छात्र।
विकास प्रबंधन संस्थान द्वितीय दीक्षांत समारोह के शुभ अवसर पर आपके बीच आकर मैं अत्यन्त खुशी का अनुभव कर रहा हूँ। आज Post Graduate Programme in Development Management के तीसरे बैच के 24 युवा, होनहार तथा प्रशिक्षित डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल सुसंगत कौशल, ज्ञान, योग्यता और तकनीक हासिल कर इस संस्थान से इस संकल्प के साथ कार्यक्षेत्र में जा रहे हैं कि वे देश और खासतौर पर बिहार के चतुर्दिक विकास में अपना योगदान करेंगे। आशा है कि आप सभी अपनी क्षमताओं का उपयोग तथा नूतन प्रयोग करते हुए ऐसा मार्ग प्रशस्त करेंगे जिससे गरीबों के जीवन स्तर में बेहतरी आयेगी।
यह दीक्षांत समारोह 18.04.2018 को आयोजित हो रहा है और आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन 101 वर्ष पूर्व चम्पारण सत्याग्रह के दौरान गाँधी जी मोतिहारी में मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित हुए थे तथा "उच्चतर विधान-अपनी अंतरआत्मा की आवाज का पालन करने" की बात कही थी।
जब वर्ष 2014 में हम विकास प्रबंधन संस्थान की अवधारणा पर विचार कर रहे थे तब हमने एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना की थी जो न केवल अच्छे डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल्स के लिए आवश्यक ज्ञान और योग्यता प्रदान करे बल्कि ऐसा विशिष्ट प्रशिक्षित डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल्स तैयार करे जिसे समावेशी विकास की व्यापक समझ हो, जिनमें सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास हो तथा समतामूलक समाज के निर्माण के प्रति संवेदनशीलता हो। इसके अतिरिक्त, विकास प्रबंधन संस्थान की परिकल्पना ऐसे संस्थान की आवश्यकता को महसूस करते हुए की गई जो राज्य के विकास के लिए उठाए जाने वाले नूतन कदमों का भागीदार बने तथा एक ऐसा थिंक टैंक का काम करे जो विकास कार्यों में लगे अधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण एवं संवर्धन में योगदान करे। इस संस्थान से यह भी अपेक्षा थी कि वे क्षेत्रीय स्तर पर किए गए शोध के आधार पर साक्ष्य आधारित नीतिगत सहायता प्रदान करें, आदर्श स्थानीय शासन तथा उत्पादक एवं सेवा आधारित संरचनाओं का माॅडल विकसित करें तथा सबसे महत्वपूर्ण यह कि इससे राज्य तथा देश में योग्य डेवलपमेन्ट प्रोफेसनल्स की बढ़ती माँग को पूरा किया जा सकेगा। इस अवसर पर मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि अपने Empowering Grassroots के सिद्धान्त पर बुनियादी स्तर को सशक्त बनाने के प्रयासों के साथ विकास प्रबंधन संस्थान उपर्युक्त सभी अपेक्षाओं की पूर्ति हेतु अग्रसर है।
राज्य सरकार, सुशासन एवं न्याय के साथ विकास के सिद्धान्त पर राज्य के विकास के लिए सार्थक प्रयास कर रही है। सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। राज्य में विकास की रणनीति समावेशी, न्यायोचित और सतत् होने के साथ-साथ आर्थिक प्रगति पर आधारित है। सरकार की प्राथमिकता है कि सभी राज्यवासियों को न सिर्फ मूलभूत सुविधाएँ यथा-पेयजल, शौचालय एवं बिजली उपलब्ध हो बल्कि आधारभूत संरचनाएँ यथा-सड़क, गली-नाली, पुल आदि का भी विस्तार हो। राज्य सरकार युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ उनके लिए उच्च, व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास की व्यवस्था कर रही है। कृषि एवं संबद्ध प्रक्षेत्रों के एकीकृत विकास के लिए तीसरे कृषि रोड मैप पर कार्य हो रहा है। बिहार को देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के निमित सुशासन के कार्यक्रम सम्पूर्ण राज्य में लागू किये गये हैं। हम स्मार्ट सिटी के साथ-साथ स्मार्ट गाँव बनाने की अवधारणा पर काम कर रहे है।
हमारे बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण बेहतर हो, उन्हे सार्थक शिक्षा सुलभ हो, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता उपलब्ध हो तथा कौशल प्राप्त करने के अवसर हों, इन सब के प्रभावी एवं कुशल समाधान के लिए हम निरंतर प्रयासरत है। हमारी योजनाएँ सार्वभौमिक हैं पर इनमें गरीब तबकों के लिए विशेष पहल है ताकि उन्हें अपनी सहज एवं स्वाभाविक प्रतिभा विकसित करने का अवसर मिल सके। सभी के लिए स्वच्छ वातावरण तथा सम्मानजनक एवं स्वास्थ्यकर जीवन स्तर प्रदान करने के लिए विकास प्रबंधन संस्थान हमें इन मोर्चों पर बौद्विक सहायता प्रदान कर सकती है।
देश के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं जैसे- किसानों की कड़ी मेहनत से उत्पादित सामाग्री को बाजार में लाभकारी मूल्य दिलाना, भौतिक एवं सांस्थिक आधारभूत संरचना का त्वरित विकास, युवाओं में उद्यमशीलता एवं कौशल का विकास, महिलाओं का सशक्तिकरण तथा Sustainable Development Goals (SDG)। हमारी विकासात्मक नीतियाँ तभी प्रभावकारी और उत्पादक हो सकती है जब सभी भौतिक, वित्तीय, नैसर्गिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करें तथा मानव संसाधन का तेजी से विकास करें। इसके अतिरिक्त, उन्नतिशील राज्यों और बिहार के बीच विकास के अंतर को पाटने के लिए हमें अपने वर्तमान आर्थिक विकास की गति को और बढ़ाना होगा। इसके लिए हमें नीतिगत समर्थन के साथ-साथ अपनेे सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठनों तथा बहुपक्षीय संस्थाओं में ऐसे हुनरमंद एवं सार्थक मानसिकता वाले लोग चाहिए जो विकास के मुद्दों पर मिलकर राज्य के लिए काम कर सके।
विकास प्रबंधन संस्थान के संकाय, प्रबंधन एवं कर्मचारियों के लिए यह चुनौती है कि अपने छात्रों में समालोचनात्मक सोच, व्यापक कौशल, सृजनात्मकता तथा तर्कसंगत विवेक विकसित करे तथा ऐसा प्रोफेशनल बनाएं जो हमारी भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को समझ सके और उनकी पूर्ति के लिए अनवरत प्रयास करें। विकास प्रबंधन संस्थान से दीक्षित डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल्स ऐसे हो कि वे न केवल परिवर्तनशीलता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता (Volatility, Uncertainty, Complexity & Ambiguity) वाली ताकतों से लड़ सकें बल्कि यह भी परख सकें कि विकास का वातावरण इससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
मुझे इसमें कोई शक नही हैं कि विकास प्रबंधन संस्थान का संकाय और शासकीय बोर्ड इन जिम्मेवारी के प्रति जागरूक है। ग्रामीण एवं शहरी गरीबों की आशा-आकांक्षाओं की उपयुक्त पूर्ति हेतु हमारे युवा डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल्स को समर्थ बनाने के लिए संस्थान अपने पाठ्यक्रम में सतत् नवीनता लाता रहेगा। मैं समझता हूँ कि, अपने मिशन और दृष्टि के साथ विकास प्रबंधन संस्थान, आजीविका और कल्याण, समूह एवं जनसामान्य तथा नेतृत्व और शासन विषय पर आधारित Collaborative Action Research & Education (CARE) Centre का पोषण करते हुए इसे नवाचार एवं इन्क्यूवेशन का केन्द्र बना रहा है। यह जानकार मुझे खुशी हुई है कि विकास प्रबंधन संस्थान ने अपने नए कैंपस के डिजाईन एवं निर्माण के लिए भवन निर्माण विभाग से समन्वय कर रहा है। मैं विकास प्रबंधन संस्थान से आशा करता हूँ कि यह जल्द ही अपने क्षमता वर्द्धन कार्यक्रमों की तैयारी कर लेगा और बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारियों तथा पंचायत और वार्ड स्तर तक के जनप्रतिनिधियों को विकासात्मक शासन के सिद्धांतों एवं व्यवहारों में प्रशिक्षित करने की क्षमता अर्जित कर लेगा। इसमें हमारी सरकार सभी आवश्यक सहयोग प्रदान करती रहेगी।
आज हमने डा0 माधव चव्हाण को सुना। उन्होंने और इनके द्वारा स्थापित संगठन प्रथम ने प्राथमिक शिक्षा और पढ़ाई-लिखाई के मामले में शिक्षा स्तर की कमियों तथा शिक्षा ग्रहण को सशक्त बनाने के लिए अध्यापन शास्त्र के विकास के मुद्दों पर राष्ट्र की सोच में गहरा परिवर्तन ला दिया है। विकास प्रबंधन संस्थान से दीक्षित प्रोफेशनल से मेरी अपेक्षा है कि लोकमत एवं लोक नीति को प्रभावित करने में वे भी इसी प्रकार परिवर्तनकारी सिद्ध होंगे।
गाँधी जी की अवधारणा के अनुसार जिनके पास हुनर और ज्ञान है वे "ट्रस्टी" हैं और अधिक सौभाग्यशाली हैं। वे उनके अभिभावक हैं जिनके पास इसकी कमी है। मैं विकास प्रबंधन संस्थान और इसके प्रोफेशनल को इसी भाव से देखता हूँ। आज जिन 24 युवाओं ने अपना-अपना डिप्लोमा प्राप्त किया है, मेरी दृष्टि में वे सभी साधन स्रोत है। बोर्ड, प्रबंधन, संकाय और विकास प्रबंधन संस्थान के कर्मियों के साथ-साथ इन छात्रों के कठिन परिश्रम तथा समर्पण का परिणाम है कि उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। आपसे अपेक्षा है कि आप गरीब भाई-बहनों की समुन्नति में अपने ज्ञान और कौशल को लगाएंगे। आपके सफल कार्यों एवं अनुभवों से academics और नीति निर्धारकों को भी गहन विश्लेषण तथा विकल्पों के चयन में सहायता मिलेगी जिससे विकास में बाधक समस्याओं से निपटा जा सकेगा। यह तभी हो सकता है जब क्षेत्र में विकास के वास्तविक कार्यों तथा शिक्षण कार्यों और संस्थान के शोध एजेंडा के बीच जानकारी के आदान-प्रदान की व्यवस्था हो। इससे भूतपूर्व छात्र (एल्युमनी), क्षेत्र की चुनौतियों कोे सम्मेलन में और विकास प्रबंधन संस्थान की कक्षाओं में चर्चा कर सकेंगे। याद रखिये कि सीखना एक निरन्तर प्रक्रिया है। आपको सतत् अपने कार्य क्षेत्र की चुनौतियों के आधार पर अपने ज्ञान और कौशल को निखारते रहना होगा। विकास प्रबंधन संस्थान के ब्रांड अंबेस्डर होने के नाते आपकी यह अतिरिक्त जिम्मेवारी भी है और मैं आशा करता हूँ कि आप प्रतिबद्धता और समर्पण के भाव से इसे पूरा करने में समर्थ होंगे।
कैरियर की प्रतिद्वन्दिता, प्रतिफल की कशमकश, कार्यस्थल की राजनीति तथा अपने कामकाजी वातावरण में अनेक प्रकार के प्रलोभनों को झेलना आपके लिए आसान नहीं होगा। मुझे विश्वास है कि विकास प्रबंधन संस्थान में पिछले दो वर्षों के दौरान जिस उत्कृष्टता, नवीनता, निष्ठा और सहभागिता के मूल मंत्र आपने आत्मसात किया है वे आपको अडिग बनाए रखेंगे। अब यह जिम्मेवारी आप पर ही है कि आपने अपने शिक्षकों से जो सीखा है उन्हें अमल में लायें। चम्पारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में मैं तो आपको बापू के एक मंत्र का सुझाव देता हूँ जिसे आप याद रखियेगा कि "जब कभी आपको दुविधा हो, या जब आप पर स्वार्थ हावी होने लगे तब इसे परखना। आपने जिस निर्धनतम और सबसे कमजोर व्यक्ति को देखा हो उसका चेहरा याद करना और अपने आप से पूछना कि आप जो कदम उठाने जा रहे हो वह उसके लिए किस तरह उपयोगी होगा। क्या इससे उसका कोई भला हो सकेगा? क्या इससे उसकी जिन्दगी और भाग्य पर नियंत्रण पाने में सहूलियत होगीय दूसरे शब्दों में क्या लाखों भूखे और किस्मत से विपन्न लोगों को यह स्वराज की ओर अग्रसर करेगा? तब आप पायेंगे कि आपकी दुविधा और स्वार्थ गायब हो गया है।" यह बात का सार हमने हमारी नीतियों में समाहित किया है और आशा करता हूँ कि आपके लिए भी यह लाभकारी होगा। मेरी कामना है कि आप लोग अपने डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल्स के कैरियर में देश और समाज के लिए उत्प्रेरक सिद्ध होंगे।